मिशन:
हरे एक प्रदेश के भीतर एवं परे विद्युत के हस्तांतरण की सुविधा तथा विश्वसनीयता, सुरक्षा एवं मितव्ययिता के साथ ऊर्जा के अंतर-राष्ट्रीय विनिमय के लिए क्षेत्रीय और राष्ट्रीय पावर सिस्टम्स के एकीकृत परिचालन को सुनिश्चित करना।
उद्देश्य:
“राष्ट्रीय भार प्रेषण केन्द्र और क्षेत्रीय भार प्रेषण केन्द्र” के माध्यम से क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय ऊर्जा प्रणालियों के एकीकृत परिचालन के अपने उद्देश्य के अनुरुप निगम ने निम्नलिखित उद्देश्यों को निर्धारित किया है, एवं इसके लिए निम्नलिखित कार्यों का निर्वहन करता है:
A. विद्युत मंत्रालय के निर्देशानुसार समय-समय पर जारी किए गए पोसोको के कार्य
- सभी आसएलडीसी एवं एनएलडीसी के परिचालन तथा जनशक्ति की आवश्यकता से संबंधित हरेक पहलू की निगरानी एवं नियंत्रण करना।
- सभी आसएलडीसी एवं एनएलडीसी के मानव संसाधन की आवश्यकताओं के संबंध में शीर्ष निकाय के तौर पर कार्य करना।
- सभी आसएलडीसी एवं एनएलडीसी के सुचारू रुप से संचालन एवं विकास के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे के संदर्भ में योजना निर्माण एवं उसके कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना।
- राज्य स्तरीय डिस्पैच लोड केंद्रों को सलाह एवं सहायता प्रदान करना, जिसमें विशेष प्रशिक्षण, आदि शामिल हैं।
- ऊर्जा मंत्रालय द्वारा दिये गए किसी अन्य कार्य का निर्वहन करना ।
B. एनएलडीसी के कार्य (दिनांक २ मार्च, २००५ की ऊर्जा मंत्रालय की अधिसूचना के अंतर्गत)
- क्षेत्रीय लोड डिस्पैच केन्द्रों का पर्यवेक्षण करना;
- क्षेत्रीय लोड डिस्पैच केन्द्रों के साथ समन्वयन में केन्द्रीय आयोग द्वारा निर्दिष्ट ग्रिड कोड तथा प्राधिकरण द्वारा ग्रिड मानकों के अनुसार निर्दिष्ट अंतर-क्षेत्रीय सम्पर्क के संदर्भ में विद्युत के वितरण हेतु समय-सारणी का निर्धारण एवं प्रेषण करना;
- राष्ट्रीय ग्रिड के संचालन द्वारा अधिकतम मितव्ययिता एवं दक्षता को प्राप्त करने के लिए क्षेत्रीय भार प्रेषण केन्द्रों के साथ समन्वय करना;
- राष्ट्रीय ग्रिड के ग्रिड की सुरक्षा तथा संचालन की निगरानी करना;
- अपने नियंत्रण में विद्युत व्यवस्था की स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यकतानुसार अंतर-क्षेत्रीय सम्पर्क का पर्यवेक्षण एवं नियंत्रण करना;
- राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में ऊर्जा संसाधनों के इष्टतम उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्रीय आउटेज कार्यक्रम हेतु क्षेत्रीय ऊर्जा समितियों के साथ समन्वय करना;
- अंतर-क्षेत्रीय स्तर पर ऊर्जा के विनिमय के लेखांकन के लिए क्षेत्रीय भार प्रेषण केन्द्रों के साथ समन्वय करना;
- क्षेत्रीय भार प्रेषण केन्द्र के साथ राष्ट्रीय ग्रिड के तुल्यकालिक परिचालन के पुनर्नवीकरण हेतु समन्वय करना;
- अंतर-राष्ट्रीय स्तर पर ऊर्जा के विनिमय हेतु समन्वय करना;
- राष्ट्रीय ग्रिड योजना के निर्माण के लिए संबंधित प्राधिकरण तथा केंद्रीय प्रेषण उपयोगिता को परिचालन के संबंध में प्रतिक्रिया उपलब्ध कराना;
- उत्पादन कंपनियों से या लाइसेंसधारियों से विद्युत व्यवस्था के संदर्भ में केन्द्रीय आयोग द्वारा निर्दिष्ट लेवी तथा इस प्रकार के शुल्क एवं प्रभारों का संग्रह करना;
- केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग एवं केन्द्र सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किए गए निर्देश या नियमों के अनुसार प्रेषण प्रणाली के संचालन से संबंधित जानकारी का प्रसार करना।
C. आसएलडीसी के कार्य (विद्युत अधिनियम, २००३ की धारा २८)
- उस क्षेत्र में कार्यरत उत्पादन कंपनियों या लाइसेंसधारियों के साथ किए गए अनुबंधों के अनुसार उस क्षेत्र के अंतर्गत बिजली के इष्टतम प्रेषण एवं समय-निर्धारण की जिम्मेदारी लेना;
- ग्रिड के परिचालन कार्यों की निगरानी करना;
- क्षेत्रीय ग्रिड के माध्यम से प्रेषित बिजली की मात्रा का हिसाब-किताब रखना;
- अंतर-राज्यीय प्रेषण प्रणाली का पर्यवेक्षण एवं नियंत्रण करना; तथा
- ग्रिड के मानकों तथा ग्रिड की नियमावली के अनुसार क्षेत्रीय ग्रिड के सुरक्षित एवं मितव्ययतापूर्ण परिचालन के माध्यम से क्षेत्र के भीतर ग्रिड के नियंत्रण और बिजली के वास्तविक समय पर प्रेषण की जिम्मेदारी लेना;
- बिजली के अंतर-राज्यीय प्रेषण में संलग्न उत्पादन कंपनियों या लाइसेंसधारियों से केन्द्रीय आयोग द्वारा निर्दिष्ट लेवी तथा इसी प्रकार के प्रभार एवं शुल्क को एकत्रित करना।
D. अन्य कार्य
- अंतर-राज्यीय प्रेषण तक खुली पहुँच: वर्ष २००४में विद्युत अधिनियम, २००३ के लागू होने के बाद सीईआरसी ने अंतर-राज्यीय प्रेषण तक खुली पहुँच की शुरूआत की है। वर्तमान में प्रचलित नियम को वर्ष २००८ में अधिसूचित किया गया था, और बाद में इसमें संशोधन किया गया था, जो १५.०६.२००९ से प्रभावी है।
- अंतर-राज्यीय प्रेषण तक खुली पहुँच विनियम तथा ऊर्जा बाजार के नियमों के अनुसार ऊर्जा के आदान-प्रदान माध्यम से सामूहिक लेनदेन के लिए एनएलडीसी को नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया गया है। द्विपक्षीय लेन-देन के लिए आरएलडीसी को नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया गया है।
- संकुलन प्रबंधन: दिनांक २२.१२.२००९ को सीईआरसी ने परिचालन के समय संकुलन के बोझ को कम करने के लिए इन नियमों को अधिसूचित किया है। आसएलडीसी एवं एनएलडीसी के लिए अंतर-क्षेत्रीय लिंक / कारिडोर के कुल हस्तांतरण क्षमता (टीटीसी), उपलब्ध हस्तांतरण क्षमता (एटीसी) एवं प्रेषण विश्वसनीयता मार्जिन (टीआरएम) का आकलन करना तथा इन जानकारियों को अपनी वेबसाइटों पर उपलब्ध कराना आवश्यक है। वास्तविक समय पर संकुलन की स्थिति में एनएलडीसी / आसएलडीसी द्वारा संकुलन प्रभार लगाया जाता है। विभिन्न संस्थाओं से एकत्रित एवं वितरित संकुलन प्रभार के हिसाब-किताब के लिए आसएलडीसी अलग खातों का अनुरक्षण करेगा।
- सहायक सेवाओं का विकास: वर्तमान में भारत में सुस्पष्ट सहायक सेवाओं का बाजार मौजूद नहीं है। अप्रत्याशित विनिमय प्रभार नियमों में सीईआरसी ने निर्दिष्ट किया है कि, यूआई पूल खाते में छोड़ी गई अधिशेष राशि का इस्तेमाल सहायक सेवाओं को उपलब्ध कराने के लिए किया जा सकता है, जिसकी पहचान क्षेत्रीय लोड डिस्पैच केन्द्रों द्वारा की जाती है। इस संदर्भ में सीईआरसी ने एक प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया है। भारतीय ऊर्जा बाजार की परिपक्वता के अनुरूप सीईआरसी के अनुमोदन के साथ पीओएसओसीओ धीरे-धीरे सहायक सेवाओं का विकास करेगा।
- अंतर-राज्यीय प्रेषण के प्रभार एवं नुकसान की साझेदारी: अंतर-राज्यीय प्रेषण के प्रभार एवं नुकसान की साझेदारी पर दिनांक १५.०६.२०१० के सीईआरसी नियमों के अनुसार एनएलडीसी को कार्यान्वयन एजेंसी (आइए) के रूप में नामित किया गया है। अध्ययन एवं गणना को पूरा करने के लिए आवश्यक आँकड़ों को प्रेषण करने वाले अलग-अलग लाइसेंसधारियों तथा नामित आईएसटीएस ग्राहकों (डीआईसी) से एकत्रित किया जाता है। सीईआरसी द्वारा गठित एक मान्यता समिति इन आँकड़ों के मान्यता की पुष्टि करती है और तदनुसार परिणामों को सीईआरसी के समक्ष प्रस्तुत करती है। सीईआरसी द्वारा अनुमोदन के बाद परिणाम तथा प्रभार एवं नुकसान की दर को एनएलडीसी की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाता है।
- नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्र आरईसी: आरईसी तंत्र के संदर्भ में सीईआरसी अधिनियम, २०१० के अनुसार एनएलडीसी को केंद्रीय एजेंसी के रूप में नामित किया गया है। इसके अनुसार एनएलडीसी को उपयुक्त नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन सुविधाओं के पंजीकरण, आरईसी को जारी करने, आरईसी खाते का रखरखाव एवं परिनिर्धारण, आरईसी में लेनदेन के लिए संग्राहक के कार्य के अलावा आरईसी तंत्र के कार्यान्वयन के लिए समय-समय पर सीईआरसी द्वारा प्रदत्त इसी प्रकार के अन्य कार्यों का निर्वहन करना होगा।
- नवीकरणीय ऊर्जा नियामक कोष (आरआरएफ़): भारतीय विद्युत ग्रिड नियमावली के अंतर्गत एक नवीकरणीय ऊर्जा नियामक कोष के गठन का प्रावधान है। आरआरएफ़ तंत्र के कार्यान्वयन के लिए अनुमोदित विस्तृत प्रक्रिया के अनुसार एनएलडीसी द्वारा आरआरएफ़ का अनुरक्षण एवं संचालन किया जाएगा।
- विद्युत प्रणाली विकास कोष: दिनांक ०४.०६.२०१० को सीईआरसी द्वारा विद्युत प्रणाली विकास कोष अधिनियम को अधिसूचित किया गया। विद्युत प्रणाली विकास कोष अधिनियम के तहत एनएलडीसी के प्रमुख / एनएलडीसी और एवं आरएलडीसी के तहत कार्यरत संस्था की अध्यक्षता में एक प्रबंधन समिति का प्रावधान भी है।
- आपदा प्रबंधन: दिनांक २७ मई २००९ के ऊर्जा मंत्रालय के पत्र के अनुसार, प्राकृतिक एवं मानव निर्मित आपात स्थिति / आपदाओं के मामले में एनएलडीसी केंद्रीय नियंत्रण कक्ष की भूमिका का निर्वहन करेगा।
- फोरम ऑफ लोड डिस्पैचर्स (फोल्ड): दिनांक १४ नवंबर २००८ को फोरम ऑफ रेग्यूलेसंस (एफओआर) की नौंवी बैठक में लिये गए निर्णय के आधार पर फोल्ड का गठन किया गया। एनएलडीसी फोल्ड को सचिवीय सेवाएँ प्रदान करता है।
- पूल अकाउन्ट्स का अनुरक्षण: आईईजीसी, २०१० के अनुसार, क्षेत्रीय यूआई पूल अकाउन्ट्स का संचालन, क्षेत्रीय प्रतिक्रियाशील ऊर्जा खातों तथा संकुलन प्रभार संबंधी खातों का अनुरक्षण आरएलडीसी द्वारा किया जाएगा। सीईआरसी के ऊर्जा बाजार नियमों के अनुसार एनएलडीसी द्वारा संकुलन खाते का संचालन किया जाएगा, जो २०.०१.२०१० से प्रभावी है।
- विद्युत आपूर्ति का विनियमन: अनुबंध के अनुसार भुगतान में चूक या भुगतान सुरक्षा तंत्र के गैर-अनुरक्षण की स्थिति में, आरएलडीसी विद्युत आपूर्ति के विनियमन हेतु कार्यान्वयन योजना तैयार करेगा, जो सीईआरसी (विद्युत आपूर्ति विनियमन) अधिनियम, २०१० के अनुसार उत्पादक कंपनियों या प्रसारण करने वाली कंपनियों के अनुरोध पर आधारित होगा।